मंथरा
एक शारीरिक विकृति से ग्रसित ( एक कूबड़ पीठ ) मंथरा का बाल्यकाल सामाजिक अस्वीकृति एवं भेदभाव का प्रापक बना | शारीरिक विकृति के कारण उसे आजीवन अविवाहित भी रहना पड़ा | कैकेइ की चचेरी बहन होने के बावजूद अयोध्या में उसे दासियों के समान सुलूक भी सहना पड़ा | प्रेम के अभाव में बचपन और यौवनावस्था गुजर जाने के कारण, एवं समाज से स्वीकृति, समानता और उदारता के अभाव में पलने-बढ़ने के कारण वह एक आत्मविश्वास, साहस, उदारता एवं प्रेम से परिपूर्ण महिला के रूप में विकसित न होकर एक विचलित, ईर्ष्यालु, अविश्वासी, स्वार्थी, एवं चिड़चिड़े चरित्र के साथ विकसित हुई | बचपन से ही उसे समाज से इतने दुर्व्यवहार की प्राप्ति हुई थी कि किसी भी व्यक्ति में विशुद्ध परोपकार के अस्तित्व में उसका विश्वास कर पाना अत्यंत कठिन बन चुका था | वह स्वयं की प्रेम-पात्रता (lovability) पर इतना संदेह करने लगी कि यदि कभी कोई उसे प्रेम से दो मीठे बोल बोल भी दे, या किसी भी रूप में कोई उसके प्रति उदार हो भी जाए, तब भी उसे इस उदारता में सिर्फ छिपे स्वार्थी प्रयोजन या कपट ही नज़र आते थे | स्वप्रेम (self -love) की कमी एवं आत्मस...