बिल्ली का गू

बात कुछ साल पहले की है । मैं परिवार के साथ सवाई माधोपुर वाले हमारे मकान पे 2-3 दिन देखरेख करने के लिए गया । गर्मी का समय था । यूं तो मकान में 10 कमरे थे पर सब किराए पे दे रखे थे । हमारा सामान एक कमरे में पड़ा था, हम यहां कभी कबार ही आते थे । ज्यादा सुविधा की सामग्री नहीं थी यहां। यहां 2-3 दिन काटना मेरे लिए भारी बात थी । जून की गर्मी की रात में राहत के लिए एक पंखा था जिसकी आवाज सुनके डर लगता था कि ऊपर ना आ पड़े । एक कूलर था जिसका पंप बदलके, नई जाली लगाके, एक तार ठीक करके, उसको हमने एयर कंडीशनर बना दिया - बस ये साइलेंट ना था - noise मचा रहा था । मैं नवाब, मुझे बेड पे सुला दिया गया , बाकी लोग नीचे गद्दा बिछाके सो गए ।

गर्मियों में दही खाने का आनंद ही अलग है । दही जमाने के लिए हमने दो किलो शुद्ध भैंस के दूध में जामण डाल के एक भगोनी में रख दिया था । गर्मी कम लगे और रूम में उमस ना हो, इसके लिए रात को सोते वक़्त हमने दरवाजा खुला छोड़ दिया । रात को बिल्ली आई और उसने भगोनी में रखा दूध मुंह लगाकर खराब कर दिया । अगले दिन हमने होशियारी दिखाई और दूध की भगोनी को आटे की टंकी में रख दिया, आटे की गर्मी से दही और बढ़िया जमेगा और बिल्ली से भी सुरक्षा रहेगी । हम फिर किवाड़ खुला छोड़के सो गए । 

बिल्ली फिर आई । दूध तो उसे मिला नहीं । वह चारों तरह मुंह मारती रही । दूध की गंध उसे रूम तक तो खींच लाई थी, लेकिन टंकी में कैसे घुसे ? She felt betrayed. अब उसको आया गुस्सा । उसने नीचे सो रहे लोगों को तो बक्ष दिया, लेकिन बेड पे सो रहे नवाब के बगल में हग के चली गई । और कुछ भी किया होगा तो नवाब को पता नहीं, वो तो गहरी नींद में थे । नवाब बिल्ली के गू में लोटते रहे, करवटें लेते रहे । सुबह पांच बजे के करीब नवाब की sleep cycle का shallow mode स्टार्ट हुआ । उन्हें अपने हाथ में कुछ गाढ़ा सा फील हुआ । कमरे में अंधेरा था । दिख तो कुछ रहा था नहीं । नवाब curious टाइप के व्यक्ति थे, तुरंत investigation शुरू कर दिया । उन्होंने उंगलियों से मसल के जांचना चाहा कि ये है क्या । सूंघ कर भी देखा । आधे जगे हुए नवाब को इतना तो पता चल गया था कि ये मुठ तो नहीं है । "लेकिन ये है क्या ? दलिया है ? रात को बिस्तर पे दलिया किसने खाया ? दलिया तो बनाया ही नहीं था !!" 

शुक्र है नवाब ने चखकर नहीं देखा । वे बिस्तर से उठे, लाइट जलाई और देखा तो बिस्तर तो सन ही रहा था उनकी बनियान, हाथ सब सना हुआ । सब मचा हुआ।
नवाब डरे नहीं, उन्होंने अपनी मम्मी को आवाज लगाई "मम्मी! ये क्या जादू है?"। मम्मी ने सैंपल को गौर से देखा और बोली " बेटा ये तो गू है ! वो भी बिल्ली का"।
नवाब को सुबह सुबह 5 बजे ही नहाना पड़ा । दिन भर शरीर में एक ताजगी और स्फूर्ति सी बनी रही ।